"वर्तिका अनन्त वर्त की 0 chapter 15(लम्हे अनजाने )
ललित का इस तरह रोज़ वापस आना पापा के मन में संशय का कारण बन गया था ,अगली बार पापा स्वयं उसे स्टेशन ले के गए , ट्रैन आयी और ललित चला गया ,कुछ दिन मन काफी उदास सा रहा पर उफ़! ये उम्र, भाई के सर वापस आने लगे थे ,और से उनकी बातो में उलझ गयी उनका इंतज़ार चाय बनाना ,उनके आने से पहले पुराने गाने लगा ना और उनके कमरे में आ कर उनके सुन लेने के बाद गाने बंद करना ,उनका मुस्कुराना और मेरा चुपचाप चले जाना इन लम्हो का इंतज़ार रहने लगा था मुझे ,की फिर 15 दिनों के बाद ललित का वापस आगमन हो गया ,इस बार उसका बहाना भी जबरदस्त था वो पापा से ट्रेनिंग लेने आया था ,पापा बहुत खुश हुए और रोज़ 2 घंटे ललित की इंटरव्यू ट्रेनिंग शुरू हो गयी ,उसके बाद पापा अपने काम को चले जाते और ललित मेरे आस पास घूमना
शुरू कर देता ,मुझे सर के मौन प्रेम से, ललित के मुखर प्रेम का आकर्षण अपनी तरफ आकर्षित करने लगा था ,उसकी हर बेबाकी उसका स्टाइल लगती थी ,अक्सर सर के आने के टाइम मैं आजकल माँ और ललित के साथ कही बाहर घूमने चली जाती थी ,ललित मुझ पर अपना बहुत अधिकार जमाता , और मैं बहुत ही खुश होती।
पापा आज बॉम्बे गए थे मीटिंग में ,माँ भी लॉयनेस क्लब की चयरपर्सन होने के कारण, घर में नहीं थी ,क्यूंकि आज क्लब में कोई सोशल वर्क का प्रोग्राम था ,भैया और बहन दोनों स्कूल में थे ,घर में केवल ललित और मैं ,मुझे बहुत घबराहट सी हो रही थी , की ललित की आवाज़ आयी ज़रा एक कप चाय बना दो सर में बहुत दर्द है ,मैं चाय बनाने चली गयी चाय ललित को दी तो वो बोला क्या, मेरे सर में बाम लगा दोगी बहुत दर्द है,मैंने उसकी तरफ देखा आंखे बंद थी ,सोचा लगा देती हूँ ,बेचारा , इतना मेरा ध्यान भी तो रखता है मेरा , मैंने बाम उठाया और उसके माथे पर लगाने लगी ,उसने कहा पीठ पर लगा दो और शर्ट उतार के लेट गया ,मुझे सब अजीब सा लग रहा था पर मैंने उसकी पीठ पर बाम लगाने को हाथ रखा ही था की वह अचानक मुड़ गया ,मैं झुकी हुए थी मेरा बैलेंस बिगड़ा और मैं उसके ऊपर गिर सी गयी, मैं कुछ समझ पाती इससे पहले उसने मुझे ज़ोर से बाहो में भर लिया,मेरे होश गुम हो गए थे उसने मेरे गले पर अपने होंठ रख दिए , और मुझे होश आ गया ,' ये सब क्या हो रहा है उसे धक्का दे कर मैं कमरे से बाहर चली गयी,मेरी साँसे नियंत्रण में नहीं थी ,अंदर ललित का हाल भी कुछ ऐसा ही था ,खिड़की से दिख रहा था की वो बहुत शर्मिंदा है ,सर पकड़ के बैठा हुआ था। उसने तुरंत अपने कपड़े पैक किये और कही चला गया ,शाम को माँ के आने के बाद घर आया और बोला चाचीजी मैंने पास में रूम ले लिया है ,अब वही रहूँगा बस खाना खाने और ट्रेनिंग टाइम आऊंगा। मेरी तरफ देखा भी नहीं, मैंने पानी दिया तो उसने मेरी तरफ देखा आँखों में शर्मिंदगी और आंसू थे । वो जा रहा था माँ अपने कमरे में थी की मैंने खुद उसका हाथ पकड़ लिया। .......................................
बाकि अगली किश्त में.............................................................
ललित का इस तरह रोज़ वापस आना पापा के मन में संशय का कारण बन गया था ,अगली बार पापा स्वयं उसे स्टेशन ले के गए , ट्रैन आयी और ललित चला गया ,कुछ दिन मन काफी उदास सा रहा पर उफ़! ये उम्र, भाई के सर वापस आने लगे थे ,और से उनकी बातो में उलझ गयी उनका इंतज़ार चाय बनाना ,उनके आने से पहले पुराने गाने लगा ना और उनके कमरे में आ कर उनके सुन लेने के बाद गाने बंद करना ,उनका मुस्कुराना और मेरा चुपचाप चले जाना इन लम्हो का इंतज़ार रहने लगा था मुझे ,की फिर 15 दिनों के बाद ललित का वापस आगमन हो गया ,इस बार उसका बहाना भी जबरदस्त था वो पापा से ट्रेनिंग लेने आया था ,पापा बहुत खुश हुए और रोज़ 2 घंटे ललित की इंटरव्यू ट्रेनिंग शुरू हो गयी ,उसके बाद पापा अपने काम को चले जाते और ललित मेरे आस पास घूमना
शुरू कर देता ,मुझे सर के मौन प्रेम से, ललित के मुखर प्रेम का आकर्षण अपनी तरफ आकर्षित करने लगा था ,उसकी हर बेबाकी उसका स्टाइल लगती थी ,अक्सर सर के आने के टाइम मैं आजकल माँ और ललित के साथ कही बाहर घूमने चली जाती थी ,ललित मुझ पर अपना बहुत अधिकार जमाता , और मैं बहुत ही खुश होती।
पापा आज बॉम्बे गए थे मीटिंग में ,माँ भी लॉयनेस क्लब की चयरपर्सन होने के कारण, घर में नहीं थी ,क्यूंकि आज क्लब में कोई सोशल वर्क का प्रोग्राम था ,भैया और बहन दोनों स्कूल में थे ,घर में केवल ललित और मैं ,मुझे बहुत घबराहट सी हो रही थी , की ललित की आवाज़ आयी ज़रा एक कप चाय बना दो सर में बहुत दर्द है ,मैं चाय बनाने चली गयी चाय ललित को दी तो वो बोला क्या, मेरे सर में बाम लगा दोगी बहुत दर्द है,मैंने उसकी तरफ देखा आंखे बंद थी ,सोचा लगा देती हूँ ,बेचारा , इतना मेरा ध्यान भी तो रखता है मेरा , मैंने बाम उठाया और उसके माथे पर लगाने लगी ,उसने कहा पीठ पर लगा दो और शर्ट उतार के लेट गया ,मुझे सब अजीब सा लग रहा था पर मैंने उसकी पीठ पर बाम लगाने को हाथ रखा ही था की वह अचानक मुड़ गया ,मैं झुकी हुए थी मेरा बैलेंस बिगड़ा और मैं उसके ऊपर गिर सी गयी, मैं कुछ समझ पाती इससे पहले उसने मुझे ज़ोर से बाहो में भर लिया,मेरे होश गुम हो गए थे उसने मेरे गले पर अपने होंठ रख दिए , और मुझे होश आ गया ,' ये सब क्या हो रहा है उसे धक्का दे कर मैं कमरे से बाहर चली गयी,मेरी साँसे नियंत्रण में नहीं थी ,अंदर ललित का हाल भी कुछ ऐसा ही था ,खिड़की से दिख रहा था की वो बहुत शर्मिंदा है ,सर पकड़ के बैठा हुआ था। उसने तुरंत अपने कपड़े पैक किये और कही चला गया ,शाम को माँ के आने के बाद घर आया और बोला चाचीजी मैंने पास में रूम ले लिया है ,अब वही रहूँगा बस खाना खाने और ट्रेनिंग टाइम आऊंगा। मेरी तरफ देखा भी नहीं, मैंने पानी दिया तो उसने मेरी तरफ देखा आँखों में शर्मिंदगी और आंसू थे । वो जा रहा था माँ अपने कमरे में थी की मैंने खुद उसका हाथ पकड़ लिया। .......................................
बाकि अगली किश्त में.............................................................
dear friends
ReplyDeleteif you really like to read this full story. please comment on my post, and i will post rest,of this very intresting true story of a pampered girl.how ignorance changed her complete life, her affairs, her painful experience about life ...and all the colours of life with very dark black colour expression which make her life complete black