"वर्तिका अनन्त वर्त की o

एक मासूम सी लड़की जो अचानक ही बहुत समझदार बन गयी पर खुद को किस्मत के हादसों ना बचा पायी,जो बेक़सूर थी पर उस को सजा का हक़ दार चुना गया
ITS A NOVEL IN MANY PARTS ,

Saturday, June 3, 2017

"वर्तिका अनन्त वर्त की o chapter13असमंजस

           
 "वर्तिका अनन्त वर्त की o chapter13असमंजस 



दरवाज़े पर एक लड़का था ऊपर से नीचे  तक सफ़ेद कपडे ,देखने में कोई बहुत ही डीसेन्ट सा लड़का लग रहा था मन से आवाज़ आयी (हाँ तुम बिलकुल वैसे हो जैसा मैंने सोचा था)खुद पर हंसी आ गयी , उम्र में मुझसे दो तीन साल शायद बड़ा होगा ,बहुत ही सौम्य सा सीधा -साधा ,कुछ देर मैँ उसे  देखती ही रह गयी और वो मुझे ,उसने कहा नमस्ते !मुझे बहुत ही शर्म महसूस हुयी की ,मैंने अब तक ना तो कोई अभिवादन ही किया ,ना अंदर बुलाया न नाम पूछा और ना ही काम। सो मैंने नमस्ते का जवाब दे कर  पूछा किस काम से से वह यहाँ आये है पता चला वो मेरे भाई को ट्यूशन  पढ़ने आये थे ,मैंने उन्हें अंदर बैठा दिया और भाई को बुलाया वो सर को नमस्ते कर पढ़ने बैठ गया , माँ ने मुझे चाय बनाने को बोला  और मैँ किचन की तरफ गुनगुनाती हुयी जाने लगी देखा ड्राइंग रूम के पर्दे के हवा में उडने की  जगह से वो भी  मुझे देख रहा  था  ,ना जाने क्यों मुझे खुद उनका देखना बहुत अच्छा लगा ,उनकी वो भली सी छवि बहुत ही प्यारी सी थी ,उनका घबराया सा चोरी- चोरी मेरी तरफ देखना और मेरा भी बार- बार परदे के उड़ने का इंतज़ार करना ,सब कुछ बड़ा ही प्यारा सा था ,वो १/-२/ घंटे पढ़ा के चले गए ,भैया उनकी बहुत तारीफ कर रहा था ,उनका नाम सुजय था वो  एक गरीब परिवार का सीधा साधा मगर स्वाभिमानी और सभ्य लड़का था ,मैँ  उनके वक्तित्व दे बहुत प्रभावित थी।
वो रोज आते संडे को तो और ज्यादा पढाते मैँ  भी उतनी देर वही परदे के पास बैठ कर पढ़ती बीच बीच में पर्दा उड़ता और हम चुप- चाप एक  दूसरे  देख कर भी अनजान से बन जाते ,मैंने बाहर जाना छोड़ दिया था ,बस हर समय घर में ही रहती थी ,आज शनिवार था दो दिन से सर नहीं आये थे कही न कही मन उनका इंतज़ार कर रहा था ,सोचा बालकनी की ठंडी हवा में जाती हूँ ,पर बाहर कुछ नहीं बदला था घर के दोनों तरफ ,वो दुष्ट आशीष अपने दोस्तो  साथ एक शिकारी की तरह  मेरे ही घर की तरफ देख रहे थे ,मन खट्टा हो गया मैं ,फिर अंदर आ कर बैठ गयी बेल की आवाज़ आयी उदास सी खोलने गयी तो जैसे  ही आ गया सामने ललित अपने सामान के साथ वहां खड़ा था ,समझ ही नहीं आया खुश हूँ या दुखी -----------------
 बाकि अगली पोस्ट में