"वर्तिका अनन्त वर्त की o

एक मासूम सी लड़की जो अचानक ही बहुत समझदार बन गयी पर खुद को किस्मत के हादसों ना बचा पायी,जो बेक़सूर थी पर उस को सजा का हक़ दार चुना गया
ITS A NOVEL IN MANY PARTS ,

Tuesday, May 30, 2017

"वर्तिका अनन्त वर्त की o PG 12 CHAPTER 12 इंद्रधनुष

       
 वर्तिका अनन्त वर्त की 0 chapter12 इंद्रधनुष 


ट्रैन अपनी गति से आगे बढ़ रही थी,और मैं उससे भी तेज गति से पीछे की ओर जा रही थी ,ललित की यादे ,उसकी बाते,उसका मुझे देखना ,मुस्कुराना सब कुछ ,मेरे चारो तरफ घूम रहा था मम्मी सो गयी थी ,भाई बहन खिड़की से बाहर देख रहे थे और पापा मैगज़ीन पढ़ने  में व्यस्त थे ,और मैं ख्यालो में बुरी तरह डूबी हुयी थी की ,की किसी ने कहा "excuse me!
'मैं ने देखा एक मेरा हमउम्र लड़का अपनी सीट ढूंढ  रहा था ,मेरी मां उसकी बर्थ पर स रही थी,मैंने पापा को बताया तो पापा ने अपनी बर्थ  उससे दे दी जो  जस्ट मेरे सामनेवाली ही थी ,वो आराम से लेट गया ,और बुक  पढ़नेलगा ,पर जब उससे नज़र मिलती वो मेरी तरफ ही देख रहा होता ,मेरा ध्यान भी बार बार उसकी तरफ ही जा रहा था ,अचानक उसने मुझसे मेरी बुक मांगी और मैंने दे दी ,रात काफी हो गयी थी मैं  सो  गयी ,सुबह 7:00 ही मेरा स्टेशन आ गया वो लड़का पडले ही उतर  चुका था ,पर मेरी बुक वही थी अपनी बुक ले मैं भी जल्दी जल्दी सामान उतारने में मदद करने लगी ,फिर कुली की मदद से रिक्शा कर  हम घर पहुंचे घर की हालत खराब थी पापा को ऑफिस भेज हम सब घर की सफाई में माँ की मदद करनेलगे। 
              नहा कर मैं गाने सुनने लगी सोचा अपनी बुक पढ़लूँ ,बुक खोलते ही पहले पेज पर एक फोन  नंबर लिखा था और एक नाम उदय मैसेज भी था" प्लीज कॉल" ,ऊफ !अब ये क्या मुसीबत है,मैंने टालने की बहुत कोशिश की पर मेरा मन कॉल करने को उतावला हो  रहा था पर मैंने खुद को रोक लिया  ,पहली बार शीशे के सामने खुद को ध्यान से देखने का मन किया ,सच लगा" मैं काफी  अच्छी  लग रही हूँ "अपनी सच पर हंस मैं बालकनी में आ गयी ,देख कर  हैंरान हो गयी की व आशीष(मेरा पड़ोसी )बहांरो फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है --------गाना लगा के मुस्कुरा रहा था ,बहुत होगया ,हद्द होती है पर समझ नहीं आ रहा था की मैं  कोई अप्सरा तो नहीं जो सब मेरे ही पीछे पड़  गए ,
ललित की याद तक नहीं आयी मुझे ,आशीष गया तो उसका भाई "आँखों में सपना सपनो में सजना------------------------------------- लगा के मेरी तरफ हाथ हिला रहा था ,मेरा मन अब किसी भी चीज़ में नहीं लग रहा था ,आखिर क्या मैं बहुत बुरी लड़की हूँ ?मैंने अपराध क्या किया है जो सब हाथ   धो कर मेरे ही पीछे पड़ गए ,खाना भी नहीं खाया ,बुक उठायी तो उसमे भी उदय का  नंबर ,मन पूरी तरड़ उचाट हो गया। मुझे मेरी सहेलिया बुलाती रही पर मैं  चुप चाप पढ़ने का बहाना कर ,घर में ही रही मेरा खराब मूड देख कर माँ मुझे हलवा बनाना सीखने लगी ,और मैं  फिर माँ के साथ बिजी हो गयी,शाम हो गयी थी की अचानक ज़ोर से डोरबेल बजने लगी ,मैंने दरवाज़ा खोला तो दिल धड़कना ही भूल गया ----------------
                                                                            बाकी अगली पोस्ट में 

Monday, May 29, 2017

"वर्तिका अनन्त वर्त की o PG 11 CHAPTER11 मेरा दिल खो गया

"वर्तिका अनन्त वर्त की o PG 11 CHAPTER11 "मेरा दिल खो गया "



आराम से चला गया ललित ,मै अवाक् सी सोचती रह गयी की क्या ,हमे भी प्यार हो गया ,दिल अजीब सी उलझन में था मै अपनी स्थिति किसीको भी समझने की स्थिति  में नहीं थी,दिल जिस्म से बाहर आना चाहता था ,मैं अपनी धड़कन महसुस कर रही थी ,आखिर ये कौन सी भावना थी ,तभी माँ की आवाज़ आयी ,ह मई भूल ही गयी थी आज तो माँ आनेवाली थी ,मैं  नीचे की तरफ भागी और माँ को देख उनकी बाहो  में समां गयी ,कितना आराम मिला मुझे धीरे धीरे दिल अपनी सामान्य गति में आ गया ,और मैं माँ और सभी भाई बहन के साथ बातो में डूब गयी,. माँ ने जब पूछा की बाहर कौन लोग रहने आये है ?तो फिर  उनकी याद आ गयी
सोचा देख कर तो आऊं क्या हो  रहा है।
ललित की माँ उससे बहुत ज़ोर ज़ोर से डाट रही थी ,जाने क्यों मुझे बहुत बुरा लग रहा था ,दीदी से पूछा देखो ना  क्या हो रहा है बाहर आंटी के घर ,वो पता लगा कर  आयी की ,ललित ने अपने माँ पापा से कहा है की ,उसे किसी से प्यार हो  गया है, इसलिए उसका  पढने में मन नहीं लग रहा ,और ज़ोर ज़ोर से हसने लगी ,मेरा दिल धक् से रुक गया "मैंने कहा क्या ????? जीजी हसने लगी और बोली कही  तुझसे तो प्यार नहीं हो  गया आजकल तेरे बारे में ही पूछता रहता है "मैंने जीजी को डॉट  दिया ,पर मन का चोर घबरा रहा था ,,,.
मम्मी ने बताया हमारे वापस लौटने का रिजर्वेशन हो गया है ,और हम सब पैकिंग में जुट गए ,पहली बार स्कूल खुलने पर मिलनेवाली  नई पुस्तको नये  दोस्त  की किसी की तरफ भी मनः नहीं जा रहा था।
मैं वापस नहीं जाना चाहती थी ,पर शीघ्र ही मेरे जाने का समय आ गया ,इन दिनों ललित ने मेरे भाई बहन और माता पिता के ऊपर बहुत अच्छा प्रभाव छोड़ा ,हमे स्टेशन छोडने भी आया ,मेरी आंखे उसकी तरफ सीख नहीं पा रही थी ,वो बोला " BYE, I WILL COME SOON ,TAKE CARE ,I MISS YOU"  .अनजाने ही मेरे मूह से निकला ME TOO.और हम मुस्कुरा उठे.ट्रैन जाने लगी और मैं ............................................ मेरा दिल खो गया -----------------
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