"वर्तिका अनन्त वर्त की o

एक मासूम सी लड़की जो अचानक ही बहुत समझदार बन गयी पर खुद को किस्मत के हादसों ना बचा पायी,जो बेक़सूर थी पर उस को सजा का हक़ दार चुना गया
ITS A NOVEL IN MANY PARTS ,

Thursday, April 13, 2017

"वर्तिका अनन्त वर्त की o chapter7 pg 7 असमंजस

"वर्तिका अनन्त वर्त की o chapter7 pg 7 असमंजस 

ललित ज्यादातर ,अपने दोस्तों में ही, समय व्यतीत करता था, घर में कम ही नज़र आता ,सो उसके बारे में ज्यादा गौर ,करने का मौका नहीं था,मै  अपनी बहन जो मुझसे सिर्फ  ४ साल ही बड़ी थी ,और अपनी जिंदगी पूरी तरह, मेरे साथ शेयर करती थी,अपने अनुभवों को बताने लगी ,लोग उसे मेरी गुरु ,भी कहा करते थे ,मै उसकी हर बात को मानती थी ,उसने कहा ये, उम्र ऐसी ही है ,और अगर मुझे भी कोई अच्छा लगे तो उसके साथ दोस्ती कर  लेनी चाहिए ,ये एक नार्मल रूटीन टाइप चीज़ है कुछ विशेष नहीं '
फिर उसने मुझसे, कसम ली ,की वो जो मुझे बताने जा रही है, वो मै कभी ,किसी को ना बताऊ ,मेरी जिज्ञासा बढ़ रही थी, सो मैंने कसम खाली ,जीजी ने बताया उसके ४ बॉय फ्रैंड्स ,सब उसका ध्यान रखते है, उसकी पढ़ाई,नोट्स,परीक्षाएं,सिनेमा, होटल ,गिफ्ट ये सभी कुछ आसानी से मिलता है ,वो बहुत खुश है, बस इतना सावधान  रहना है, की वो एक दूसरे को जानते ना हो....कभी एक दूसरे से मिले नहीं,  " मै हैरान हो गयी ये, मै  क्या? सुन रही हु ,विश्वास नहीं हुआ ,और समझ भी नहीं आया की, ये सही है या गलत,क्यूंकि मेरी बहन तो मेरी आदर्श थी, फिर वो  गलत कैसे करेगी ,इसी असमंजस में १५ दिन बीत गए ,मेरी ३ महीने की छुट्टिया थी ,,अचानक एक दिन मेरी बहन बहुत गुस्से में घर लौटी और बोली , मैंने अपने सारे बॉय फ्रेंड्स क छोड़ दिया,क्यों पूछने पर बोली उन सबको एक दूसरे के बारे में पता चल गया ,वो कुछ कहते उससे पहले मैने ही उन पर शक! का इलज़ाम लगा दिया और छोड़  के आ गयी, अब "नया फ्रेंड नई लाइफ"। .........................
मैं सोचने लगी अरे वाह  इट्स सो easy . छुट्टिया गुजर रही थी, मैं मग्न थी जीजी की बातो में की..................
.................. एक दिन उसने  एक नया बम फोड़  दिया ,बोली" सुन अदिति मुझे किसी से प्यार हो गया ज़रा अंदाज़ लगा ,मैं सोचने लगी कौन होगा ?भला ,जिसे मैं भी जानती हूँ ? मैंने उसे ,ललित के साथ, हँसते समय बिताते ,बहुत बार देखा था, मुझे लगा हो सकता है, वो ही हो , पर वो तो जीजी से १ साल छोटा था,पर क्या पता ,क्यूंकि की (ललित के अलावा हमारे किरायेदार क ३ और बेटे भी थे पर) मुझे नहीं लगा की उनसे कोई प्यार कर  सकता है,क्यूंकि वह काफी चरित्रहीन किस्म के , देखने में भी काफी मैले कुचले से थे ,मैं हार गयी ,जीजी हंस के खुद ही बोल पड़ी रवि ,मैं चीख उठी छी वह कितना गंदा ,काला,मूह पर अजीब चालाकी से भरी शातिर ,मुस्कान चहरे पर आंसू जैसे गहरे निशान वह ललित का दूसरे नंबर का बड़ा भाई था ,,,मन खट्टा हो  गया जीजी के इस सलेक्शन से,  इस प्यार से ,पर जीजी बहुत खुश थी ,वह शाम को अक्सर वॉकिंग के लिए जाती मेरे साथ ,वह, वहां  भी आ जाता, फिर ये दोनों  मुझे ,अकेले छोड़, किसी पेड़ के, पीछे घंटो  बैठे रहते ,इनकी अजीब सी, दबी हुयी आवाज़े ,और जीजी की हंसी ,मेरा दिल जोर -जोर से धड़कता रहता ,
एक दिन मुझे पता चला की आज मेरा रिजल्ट आएगा और मैं बहुत खुश हो गयी ,दोपहर को रिजल्ट निकला, मै 1st डिवीज़न से पास हो  गयी थी ,सोचा सबको मिठाईबाँटू  ,सो  किरायेदारों, की तरफ चल पड़ी ,मैं  अपनी धुन में मग्न थी की अचानक एक जोर का  झटका लगा ,देखा ,तो सामने, ललित भी तेज़ गति से आ रहा था, उसका रिजल्ट भी निकला था ,सो  वह हमारे घर मिठाई ला रहा था ,हम दोनों जमीन पर थे और चारो तरफ मिठाईया थी ,,....
बाकि अगली पोस्ट में ..........................
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