"वर्तिका अनन्त वर्त की o

एक मासूम सी लड़की जो अचानक ही बहुत समझदार बन गयी पर खुद को किस्मत के हादसों ना बचा पायी,जो बेक़सूर थी पर उस को सजा का हक़ दार चुना गया
ITS A NOVEL IN MANY PARTS ,

Monday, March 27, 2017

"वर्तिका अनन्त वर्त की"chapter5 pg 5 बहती हवा

                                 "वर्तिका अनन्त वर्त की"chapter5 pg 5 बहती हवा


उस हादसे के बाद माँ मेरा काफी ध्यान रखती ,की ,मैं कम से कम अकेले रहूँ ,मैं भी सब भूलने लगी ,इस नए घर में मेरी हमउम्र सहेलिया भी थी और हमउम्र  बहुत से लड़के भी ,मैं खुश थी ,स्कूल पढ़ाई होमवर्क ट्यूशन पूरी तरह से व्यस्त इस साल मैंने ९ की परीक्षा दी थी ,और अच्छे  नम्बरो से पास हो हाई स्कूल में पहुँच गयी थी ,इस दौरान बहुत तरह के ,शारीरिक और मानसिक, बदलावों से गुजरी, पर क्योंकि अपनी सभी हम उम्र , लोगो के बीच थी ,और उनके साथ भी, वही हो रहा था जो मेरे साथ ,तो तनाव नही हुआ बल्कि हम सब ,शाम को साथ बैठ कर हर विषय पर बात करते ,और बहुत हँसते ,आजकल मेरा मन फिल्मो में बहुत लग रहा था ,स्पेशली लवस्टोरी मुझे बहुत ही अच्छी लगती,हमसब ,सहेलिया बस   किसका किसके साथ अफ़ेयर है ये हि बाते करते
हमारे साथ ही साथ हमारे हमउम्र लड़के ,भी परिवर्तन के दौर से गुजर रहे थे, अब हम लोग ज्यादा बात नही करते ,अपने आप ही एक, दूरी सी बन गयी थी,आज कक्षा १० का पहला दिन था, बहुत खुश थी मैं ,स्कूल से वापस आते समय देखा ,मेरे पड़ोस में रहनेवाला एक लड़का ,मेरे स्कूल के बाहर खड़ा था,मैंने खास ध्यान नही दिया ,वो मेरे रिक्शे के पीछे -पीछे अपने  दोस्तों के साथ, घर तक आया ,मुझे समझ नही आया, लगा, होगी कोई बात, हंस के मेरी तरफ देखा तो मैं ,भी हंस दी ,उसके सब दोस्त भी हसने लगे ,मुझे क्या?"मैं घर में चली गयी, खाना खाया  ,स्कूल के किस्से माँ को बता ,सो गयी ,मुँह  धो कर  बाहर गयी तो,हद  ही हो गयी !वो फिर अपने दोस्तों के साथ बाहर मेरी बालकनी के सामने ,अपनी बालकनी में था ,फिर मुस्कुराया,मुझे कुछ समझ नही आ रहा था ,मैं भी मुस्कुरा के अंदर आ गयी ,अब बाहर जाने का मन नही किया ,अंदर ही टीवी देखती रही ,एक घण्टे बाद छुप के खिड़की से बाहर देखा तो, वो और उसके दोस्त एकटक मेरे घर की तरफ देख रहे थे,मेरा दिल जोर -जोर से धड़कने लगा ,मुझे लगा जैसे मैंने ही कोई भूल करदी, मैं बाहर नही गयी मेरी सारी सहेलिया मुझे बुलाती रही पर सर दर्द का बहाना बना ,मैं घर के अंदर ही रही. ७ बजे अँधेरा हो गया, मैं बालकनी में आयी, और मेरे आते ही "लवस्टोरी" मूवी का गाना "याद आ रही है तेरी याद आ रही है "बजने लगा ,हैरान हो कर  उस  तरफ देखा तो वो लड़का अभी भी वही बैठ कर मुझे देख रहा था और ये गाना  सुन रहा था,,,अममआआआआ! मैं  ,अंदर आ गयी ,मुझे पूरी रात नींद नही आयी ,ये क्या हो रहा था ,आशीष ऐसे क्यों कर  रहा ?अगले दिन फिर वही ,वो फिर स्कूल आया फिर घर तक ,स्कूल का बैग रख ,मैं, तुरन्त उसके घर चली गयी ,वो घर पर नही था ,मैंने उसकी बहन जो मेरी हउमर ही थी पूछा ,"रेखा ये आशीष रोज़ मेरे स्कूल आता है ,अगर कोई काम हो तो मुझे बता दो ,वो गर्ल्स स्कूल है कहि वॉचमन, इसकी पिटाई ना करे ,रेखा और उसकी माँ हैरान हो गयी। उन्होंने कहा हम पूछते है ,और मैं घर आ गयी,कुछ देर के बाद उसके घर से बहुत ज़ोर ज़ोर से आवाज़े आने लगी उसका बड़ा भाई उसे डाँट  रहा था,मैं अपनी विजय पर बहुत खुश थी ,आशीष अपनी बालकनी में भी नही आया ,पर एक दूसरी मुसीबत अब वह उसका भाई खड़ा था ,अजीब नज़रो से मुझे देख रहा था वो मुझसे ३ साल बड़ा था,अरे उसने एक नया  गाना  लगा दिया और गाने भी लगा "तुमको देखा तो ये ख्याल आया जिंदगी धुप तुम गहन साया"मुझे तो कुछ समझ ही नही आ रहा था, मैं बालकनी के पीछे की तरफ चली गयी ,वहा  से आशीष का कमरा साफ़ नज़र आता था,मेरे पहुँचते ही उसके कमरे से भी गाने की आवाज़ आने लगी "जितने भी तू कर  ले सितम हंस _ हंस के सहेंगे हम ये प्यार ना होगा कम"
                                            मैं परेशां" और हैरान" अपने रूम में टीवी देखने लगी और सोचने लगी अब कल क्या होगा ..................................................बाकि अगली पोस्ट में 





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