"वर्तिका अनन्त वर्त की o chapter9 pg 9 अनुभूति
बहुत ही प्यारी सी सुबह थी ,ठंडी ठंडी हवा चल रही थी और मैं गार्डन में फूलो की खुश्बुओं में गुम उनके खूबसूरत रंग ,और उड़ती तितलियाँ देख रही थी ,मेरा मन एक कवि की तरह नयी नयी रचनाये कर रहा था ,शहतूत के पेड़ पर अभी ही एक मोर आया था ,मै चुप चाप पूरी तरह प्रकृति की खूबसूरती में खोयी हुयी थी की अचानक, एक आवाज़ ने मुझे परेशान कर दिया पीछे देखा तो, हाथो में ब्रश लिए कंधे पर तौलिया नाईट सूट में ललित वहां खड़ा था ,और मुझे गुडमॉर्निंग विश कर रहा था ,मैं उसके वहाँ होने से uncomfortable फील करने लगी और गुड मॉर्निग बोल कर अंदर जाने लगी ,जब मैं उसके पास से गुजरी तो वह बोला कौन सा सोप यूज़ करती हो ,मैं हैरान हो गयी और माइंड यॉरसेल्फ़ कह कर चली गयी ,सोचा चलो मैगज़ीन ही पढ़ती हूँ ,पर आज जाने क्यों मेरा मन विचलित सा था ,सोचने लगी मैं कौन सा सोप यूज़ करती हूँ ,इस से क्या मतलब है उस लड़के का ,मन नहीं लगा तो कमरे में चली गयी पर वहाँ ललित के गाने की आवाज़ ज़ोर से आ रही थी, आवाज़ बहुत ही अच्छी थी ,ना चाहते हुए भी , मेरा ध्यान उसके गाने पर चला गया , और सुनने का मन भी करने लगा, वह अपनी शख्सियत से विपरीत मुकेश का गाना गा रहा था ,"कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे --------------------------------
मुझे भी ये गाना बहुत ही प्रिय था, सो मैं बहुत ध्यान से सुनने लगी उसकी आवाज़ की कशिश मुझे अपना ध्यान वहाँ से हटाने ही नहीं दे रही थी , तभी जीजी वहाँ आ मुझे नाश्ते के लिए बुलाने लगी और न चाहते हुए भी मुझे जाना पड़ा ,नाश्ता करते समय मैंने जीजी से बोला ", अरे!ये ललित गाना तो बहुत ही अच्छा गाता है ,जीजी हँसने लगी और बोली अभी बताती हूँ उसे , मैं घबरा गयी पर जीजी मुझे चिढ़ाती ही रही , दोपहर का खाना खाने के बाद, कुछ देर t.v. देख मैं सो गयी ,शाम को जब बाहर गयी तो फिर वातावरण बड़ा खुशगवार था , मैं फिर इधर- उधर चहल कदमी करने लगी पर अचानक लगा कोई मुझे देख रहा है , वह ललित था ,बोला hi !तुम्हे मेरा गाना अच्छा लगा ,थैंक्स और सुनोगी ,मैंने कहा जी नहीं ,फिर अंदर चली गयी पर अब मन बार बार ललित की तरफ जा रहा था , मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था ,बस उसकी बाते सुनना चाहती थी।
आज सुबह से ही मैंने ना उसकी आवाज़ सुनी ,ना ही उसे देखा ,सोचा जीजी से पूछ लू पर व उससे बतादेगी ये सोच कर चुप रही ,मेरे कान हर आहट पर लगे हुए थे ,रात को १२ बजे उसके गाने की आवाज़ आयी वो फिल्म देख कर आया था और गा रहा था" थोड़ी सी जो पि ली है चोरी तो नहीं की है --------------------
मेरा मन शांत हो गया और मैं सो गयी -----------------------------
बाकि अगली पोस्ट में
बहुत ही प्यारी सी सुबह थी ,ठंडी ठंडी हवा चल रही थी और मैं गार्डन में फूलो की खुश्बुओं में गुम उनके खूबसूरत रंग ,और उड़ती तितलियाँ देख रही थी ,मेरा मन एक कवि की तरह नयी नयी रचनाये कर रहा था ,शहतूत के पेड़ पर अभी ही एक मोर आया था ,मै चुप चाप पूरी तरह प्रकृति की खूबसूरती में खोयी हुयी थी की अचानक, एक आवाज़ ने मुझे परेशान कर दिया पीछे देखा तो, हाथो में ब्रश लिए कंधे पर तौलिया नाईट सूट में ललित वहां खड़ा था ,और मुझे गुडमॉर्निंग विश कर रहा था ,मैं उसके वहाँ होने से uncomfortable फील करने लगी और गुड मॉर्निग बोल कर अंदर जाने लगी ,जब मैं उसके पास से गुजरी तो वह बोला कौन सा सोप यूज़ करती हो ,मैं हैरान हो गयी और माइंड यॉरसेल्फ़ कह कर चली गयी ,सोचा चलो मैगज़ीन ही पढ़ती हूँ ,पर आज जाने क्यों मेरा मन विचलित सा था ,सोचने लगी मैं कौन सा सोप यूज़ करती हूँ ,इस से क्या मतलब है उस लड़के का ,मन नहीं लगा तो कमरे में चली गयी पर वहाँ ललित के गाने की आवाज़ ज़ोर से आ रही थी, आवाज़ बहुत ही अच्छी थी ,ना चाहते हुए भी , मेरा ध्यान उसके गाने पर चला गया , और सुनने का मन भी करने लगा, वह अपनी शख्सियत से विपरीत मुकेश का गाना गा रहा था ,"कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे --------------------------------
मुझे भी ये गाना बहुत ही प्रिय था, सो मैं बहुत ध्यान से सुनने लगी उसकी आवाज़ की कशिश मुझे अपना ध्यान वहाँ से हटाने ही नहीं दे रही थी , तभी जीजी वहाँ आ मुझे नाश्ते के लिए बुलाने लगी और न चाहते हुए भी मुझे जाना पड़ा ,नाश्ता करते समय मैंने जीजी से बोला ", अरे!ये ललित गाना तो बहुत ही अच्छा गाता है ,जीजी हँसने लगी और बोली अभी बताती हूँ उसे , मैं घबरा गयी पर जीजी मुझे चिढ़ाती ही रही , दोपहर का खाना खाने के बाद, कुछ देर t.v. देख मैं सो गयी ,शाम को जब बाहर गयी तो फिर वातावरण बड़ा खुशगवार था , मैं फिर इधर- उधर चहल कदमी करने लगी पर अचानक लगा कोई मुझे देख रहा है , वह ललित था ,बोला hi !तुम्हे मेरा गाना अच्छा लगा ,थैंक्स और सुनोगी ,मैंने कहा जी नहीं ,फिर अंदर चली गयी पर अब मन बार बार ललित की तरफ जा रहा था , मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था ,बस उसकी बाते सुनना चाहती थी।
आज सुबह से ही मैंने ना उसकी आवाज़ सुनी ,ना ही उसे देखा ,सोचा जीजी से पूछ लू पर व उससे बतादेगी ये सोच कर चुप रही ,मेरे कान हर आहट पर लगे हुए थे ,रात को १२ बजे उसके गाने की आवाज़ आयी वो फिल्म देख कर आया था और गा रहा था" थोड़ी सी जो पि ली है चोरी तो नहीं की है --------------------
मेरा मन शांत हो गया और मैं सो गयी -----------------------------
बाकि अगली पोस्ट में
बेहद सुंदर!
ReplyDeletethanks a lot kamleshji atleast hear sm words frm your end thanks
Delete